Bhaiyya Ji Review: मनोज बाजेपयी की फिल्म एक्शन से ज्यादा इमोशन्स आएंगे पसंद

फिल्म – भैया जी
कास्ट – मनोज बाजपेयी, जोया हुसैन, विपिन शर्मा, सुरिंदर विक्की
डायरेक्टर – अपूर्व सिंह कार्की
रेटिंग – 1.5 स्टार

मनोज बाजपेयी अपनी लेटेस्ट फिल्म भैया जी के साथ हाजिर हैं। ये फिल्म 24 मई को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। ट्रेलर देखकर ही आपको अंदाजा लग गया होगा कि फिल्म कितनी एक्शन से भरपूर है। हालांकि फिल्म के एक्शन्स नहीं बल्कि इसके इमोशन्स इसका बेस्ट पार्ट है। मनोज बाजपेयी के साथ इस फिल्म में आपको जोया हुसैन, विपिन शर्मा, सुरिंदर विक्की और जतिन गोस्वामी अहम रोल में नजर आएंगे। आइए जानते हैं कैसे ही ये पूरी फिल्म।

फिल्म की कहानी
भैया जी यानी मनोज बाजपेयी की कहानी पर ये पूरी फिल्म है। फिल्म में भैया जी का एक छोटा भाई है जिसे एक रसुकदार बाप का बेटा मार देता है। क्योंकि भैया जी के भाई से अनजाने में एक गलती हो जाती है। भैया जी को पहले तो पता चलता है कि उनके भाई का एक्सीडेंट हुआ है लेकिन बाद में हत्या की असलियत पता चलती है। भैया जी कुछ सालों पहले तक बिहार के बहुत बड़े बाहुबली हुआ करते थे। लेकिन पिता की मौत के बाद वो हिंसा छोड़ चुके होते हैं। लेकिन छोटे भाई की हत्या के बाद उनकी छोटी अम्मा खुद उनसे ये कसम तुड़वाती है और भैया जी निकल पड़ते हैं भाई की हत्या का बदला लेने। बस इसी बदले की कहानी ये पूरी फिल्म दिखाती है।

फिल्म में क्या अच्छा?
डायरेक्टर अपूर्व सिंह कार्की ने शुरुआत के पहले 15 मिनट तो बहुत ही शानदार तरीके से डायरेक्ट किए हैं। शुरुआत के इमोशनल सीन देखकर तो आपकी आंखें भी नम हो सकती हैं। अगर आप थोड़ा इमोशनल हैं तो आपको पक्का रोना जा जाएगा। मनोज बाजपेयी ने तो जो एक्टिंग की है, उससे उन्होंने एक बार फिर से हमेशा की तरह दिल जीत लिया है। एक बेबस बड़ा भाई, जिसका छोटा भाई उसकी आंखों के सामने सीधा चिता में चलते हुए दिखता है, ये सीन अंदर से हिलाकर रख देगा। हालांकि एक्टिंग के मामले में बाकी किरदारों में भी अपना रोल बखूब निभाया है।

वहीं जब बदला लेने के लिए भैया जी निकलते हैं और उनके साथ पूरी गांव की फौज होती है। वो दुश्मन के घर पर जाकर बहुत ही प्यार से उसके बेटे को मांगते हैं और कहते हैं कि वो उसका वध करके उसके शव को उसे वापस लौटा देंगे। ये सीन भी आपको बहुत ही अलग लगेगा कि कैसे किसी के अंदर प्रतिशोध की इतनी आग है और वो फिर भी पूरे गांव के साथ दुश्मन की हवेली को राख नहीं कर रहा है लेकिन फिर भी प्यार से बोलते हुए सामने वाले के अंदर खौफ भर दे रहा है।

कहां लगी कमी?
फिल्म में जब मनोज बाजपेयी दोबारा से बाहुबली बनते हैं और दुश्मन के घर से वापस आते हैं। उसके बाद से फिल्म का ग्राफ लगातार नीचे गिरने लगता है। सब कुछ होते हुए भी अकेले लड़ना और फिर घायल हो जाना और फिर जगह जगह जान बचाते फिरना। ये सब आपको फिल्म में काफी अजीब लगेगा। जिसने भैया जी के भाई को मारा, उसे मारना भैया जी के लिए आसान था लेकिन फिल्म में उसे जबरदस्ती का आखिरी तक खींचा गया है।

मनोज बाजपेयी एक्शन तो कर रहे हैं लेकिन वो फील ही नहीं आ पा रही है कि हम उन्हें एक्शन हीरो के रूप में देखें। जबकि वो अपने बाकी वर्सेटाइल रोल में कितने शानदार लगते हैं। जबरदस्त एक्शन फिल्म बनाने के चक्कर में पूरी फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक आपके कान फाड़ने का काम करता है।

तो अगर आप मनोज बाजपेयी के जबरा फैन हैं तो ही ये फिल्म देखने जा सकते हैं। या फिर फिल्म का फर्स्ट हाफ ही इस फिल्म के पैसे वसूल कराएगा।

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