Srikanth Review: श्रीकांत बोला के रोल में राजकुमार राव ने जीता दिल, जिंदगी में सफल होना सिखाती है फिल्म

Srikanth Review

फिल्म – श्रीकांत
कास्ट – राकुमार राव, ज्योतिका, शरद केलकर, अलाया एफ, जमील खान
डायरेक्टर – तुषार हीरानंदी
रेटिंग – 3 स्टार

एक लड़का जो जन्म से देख नहीं सकता, जिसके मां-बाप को लोग कहते थे कि मार डालो। ये आगे तुम पर ही बोझ बन जाएगा। जिसे उसके बचपन में उसके दोस्त ही कहते थे कि वो भीख मांगेगा, वो लड़का बड़ा होकर 500 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ा कर देता है। जी हां, ये कहानी है श्रीकांत बोला की। इन गजब के शख्स पर एक शानदार फिल्म बनाई गई है जिसमें उनका रोल राजकुमार राव ने किया है। आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म।

फिल्म की स्टोरी?
फिल्म की कहानी बिल्कुल साफ है। एक बच्चा है श्रीकांत जो जन्म से ही दृष्टिबाधित है। स्कूल में उसका एडिमिशन तो हो जाता है लेकिन उसे साइंस पढ़ना होता है। स्पेशल स्कूल से भी उसे इसलिए निकाल दिया जाता है क्योंकि वो स्कूल वालों की पोल खोल देता है। उसकी टीचर (ज्योतिक) उसे पढ़ाती है और अपने पास ही रखती है। श्रीकांत और उसकी टीचर एजुकेशन सिस्टम के खिलाफ लड़ते हैं और स्कूल में साइंस के लिए दाखिला लेकर ही रहते हैं जिससे दूससे नेत्रहीन बच्चों के लिए सांइस पढ़ने का रास्ता खुल जाता है।

श्रीकांत को जब आईआईटी में एडमिशन नहीं मिलता तो अपनी काबिलियत के बल पर वो अमेरिका पढ़ने के लिए पहुंच जाता है। ए पी जे अब्दुल कलाम श्रीकांत के बहुत बड़े रोल मॉडल होते हैं। श्रीकांत को अमेरिका में बहुत बड़ी कंपनियों से जॉब मिलती है लेकिन वो फिर भी लौटकर इंडिया आ जाता है और यहां बोलांट नाम की कंपनी शुरू करता है जिसमें उसकी तरह दृष्टिबाधित और दिव्यांग लोगों को काम दिया जाता है।

फिल्म में क्या अच्छा?
फिल्म में सबसे ज्यादा दिल तो राजकुमार राव ही जीतेंगे। उनकी दृष्टिबाधित लड़के की एक्टिंग शानदार है। पूरी फिल्म में आपको राजकुमार राव नहीं बल्कि श्रीकांत बोला नजर आएंगे। उनके अलावा ज्योतिका ने टीजर की भूमिका काफी अच्छी निभाई है। सेकेंड हाफ में बिजनेसमैन रवि के रूप में शरद केलकर स्क्रीन पर आते ही छा जाते हैं। हालांकि अलाया एफ का रोल लिमिटेड है। लेकिन उनका उतना रोल भी बढ़िया है। जमील खान भी आपको एपीजे अब्दुल कलाम का लहजा पकड़ते हुए दिखेंगे।

फिल्म का फर्स्ट हाफ बेहद शानदार है। इसमें आपको इमोशन्स से लेकर हालातों से लड़ते रहने का जज्बा मिलेगा। फिल्म में आपको जहां लगेगा कि अब ये नेत्रहीन आगे कुछ नहीं कर पाएगा, वहीं श्रीकांत आपको चौंकाता हुआ नजर आता है।

फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक के तौर पर पापा कहते हैं सॉन्ग को लिया गया है। ये पूरी फिल्म में आपको बीच बीच में सुनाई देगा लेकिन आपको ये फिल्म में एकदम फिट बैठता दिखाई देगा।

कहां दिखती है कमी?
फिल्म का फर्स्ट हाफ इतना अच्छा था कि उसके आगे सेकेंड हाफ थोड़ा फीका पड़ता नजर आता है। अलाया एफ और राजकुमार राव की जोड़ी थोड़ी कम फिट बैठती है। फिल्म काफी सादगी भरी ही रखी गई है। इसमें कोई वाव फैक्टर नजर नहीं आता है।

एक असाधारण स्टोरी के साथ इसे ठीक ठाक बनाया है। इसलिए फिल्म को एक बार जरूर देखा जा सकता है। और कुछ नहीं तो आपको इसमें एक ऐसी स्टोरी जानने को मिलेगी, जिससे आपको जिंदगी में सफल होने की प्रेरणा मिलेगी।

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